PM Solar Yojana - 300 यूनिट मुफ्त बिजली का दावा कितना सच्चा है?

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PM Solar Yojana

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 2024 में शुरू की गई PM Surya Ghar Muft Bijli Yojana देशभर में सुर्खियाँ बटोर रही है। सरकार का दावा है कि इस योजना के अंतर्गत हर घर को 300 यूनिट तक मुफ्त बिजली मिलेगी, जिससे आम आदमी को राहत मिलेगी और भारत सौर ऊर्जा में आत्मनिर्भर बनेगा।

लेकिन सवाल ये है – क्या वाकई 300 यूनिट तक मुफ्त बिजली मिल रही है? क्या यह दावा सिर्फ कागज़ी है या ज़मीनी हकीकत भी कुछ कहती है? इस लेख में हम एक आम लाभार्थी के अनुभव के माध्यम से योजना की सच्चाई, चुनौतियाँ और फायदे को समझने की कोशिश करेंगे।

PM Solar Yojana की संक्षिप्त जानकारी:

PM Solar Yojana का उद्देश्य देश के 1 करोड़ परिवारों के घरों पर रूफटॉप सोलर पैनल लगवाकर उन्हें हर महीने 300 यूनिट तक मुफ्त बिजली देना है। इसके लिए केंद्र सरकार ₹78,000 तक की सब्सिडी दे रही है। योजना का पोर्टल – pmsuryaghar.gov.in

एक आम उपभोक्ता की कहानी: रामकुमार, लखनऊ (उत्तर प्रदेश)

  • नाम: रामकुमार यादव
  • पेशा: निजी नौकर
  • स्थान: लखनऊ, उत्तर प्रदेश
  • सोलर सिस्टम की क्षमता: 3 किलोवाट
  • सिस्टम इंस्टॉल डेट: मई 2024
  • डिस्कॉम: UPPCL

अनुभव की शुरुआत:

रामकुमार बताते हैं – “मेरे बिजली बिल हर महीने ₹1,800 से ₹2,200 तक आते थे। जब मुझे PM Surya Ghar योजना के बारे में पता चला, तो मैंने फौरन पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन किया। प्रक्रिया थोड़ी तकनीकी थी लेकिन manageable थी।”

PM Solar Yojana प्रक्रिया का अनुभव – आसान या मुश्किल?

आसान पक्ष:

  • पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन आसान था।

  • डिस्कॉम की अप्रूवल 10 दिनों में मिल गई।

  • स्थानीय विक्रेता की सूची पोर्टल पर ही उपलब्ध थी।

  • सब्सिडी की क्लेमिंग प्रक्रिया पूरी तरह ऑनलाइन है।

मुश्किल पक्ष:

  • नेट मीटर इंस्टॉलेशन में देरी – लगभग 25 दिन लगे।

  • स्थानीय डिस्कॉम अधिकारी की लापरवाही – कुछ बार फॉलो-अप करना पड़ा।

  • बैंक खाते में सब्सिडी आने में 45 दिन का समय लगा।

बिजली की बचत – क्या वाकई 300 यूनिट मुफ्त?

रामकुमार का अनुभव: “मैंने 3 किलोवाट का सिस्टम लगवाया। गर्मी के दिनों में इससे रोज़ 10-12 यूनिट बिजली बनती है। महीने में करीब 300 यूनिट। पहले जो बिल ₹2,000 तक आता था, अब ₹100–₹200 के बीच आता है – वो भी सिर्फ फिक्स चार्जेस का।”

तकनीकी विश्लेषण:

सोलर सिस्टम

औसत उत्पादन (दैनिक)

मासिक उत्पादन (यूनिट)

1 kW

4 यूनिट

120 यूनिट

2 kW

8 यूनिट

240 यूनिट

3 kW

10–12 यूनिट

300–360 यूनिट


निष्कर्ष:
300 यूनिट मुफ्त बिजली तभी संभव है जब आपके पास कम से कम 3 kW का सोलर सिस्टम हो।

नेट मीटरिंग – मुफ्त बिजली के पीछे की टेक्नोलॉजी

नेट मीटरिंग वह प्रणाली है जिसमें आप जितनी बिजली सोलर सिस्टम से बनाते हैं और इस्तेमाल नहीं करते, वह ग्रिड में चली जाती है। बाद में उसी यूनिट के क्रेडिट से आप ग्रिड से बिजली ले सकते हैं।

रामकुमार के अनुसार:

“मेरे सिस्टम से 320 यूनिट बनीं, पर हमने 290 यूनिट यूज़ कीं। 30 यूनिट ग्रिड को गईं, जिसका क्रेडिट अगले महीने के बिल में मिला। यह व्यवस्था बहुत अच्छी है।”

क्या यह सच में “मुफ्त” बिजली है?

यहाँ “मुफ्त बिजली” का मतलब ये है कि बिजली बिल से छुटकारा – लेकिन पूरी तरह से नहीं, क्योंकि:

मुफ्त है:

  • सोलर सिस्टम से उत्पन्न बिजली

  • सरकार की सब्सिडी से लागत काफी कम होती है

  • नेट मीटरिंग से यूनिट का क्रेडिट मिलता है

मुफ्त नहीं है:

  • सिस्टम की कुछ लागत आपको खुद उठानी होती है

  • मेंटेनेंस और सफाई का खर्च

  • DISCOM के फिक्स चार्जेस फिर भी लागू रहते हैं

  • नेट मीटर लगाने का चार्ज (कई राज्यों में)

रामकुमार की अंतिम राय:

“अगर आपके घर की छत खाली है और हर महीने 250–300 यूनिट बिजली खर्च होती है, तो यह योजना फायदेमंद है। शुरुआत में थोड़ा भागदौड़ है, लेकिन एक बार सिस्टम लग गया तो सालों तक बिजली बिल नहीं आएंगे।”

योजना की चुनौतियाँ – हकीकत की ज़मीन पर

चुनौती

विवरण

सिस्टम इंस्टॉल में देरी

विक्रेताओं की कमी और तकनीकी जांच में समय लगता है

नेट मीटर इंस्टॉलेशन

DISCOM के पास संसाधनों की कमी

ग्रामीण इलाकों में जानकारी की कमी

कई लोगों को योजना की जानकारी ही नहीं है

सब्सिडी देर से मिलना

कई लाभार्थियों को 30 दिन से अधिक समय लगा

फिर भी क्यों है PM Solar Yojana उपयोगी?

  • लंबी अवधि में बचत – 25 साल तक सोलर पैनल काम करते हैं

  • स्वच्छ ऊर्जा – CO₂ उत्सर्जन में भारी कमी

  • घरेलू आत्मनिर्भरता – बिजली कटौती से छुटकारा

  • सरकारी सपोर्ट – सब्सिडी और तकनीकी सहायता

निष्कर्ष: दावा कितना सच्चा?

सरकार का दावा कि 300 यूनिट तक मुफ्त बिजली मिलेगी – आधा सच और आधा तकनीकी है।
यह मुफ्त बिजली आपको तभी मिलेगी जब:

  1. आपने पर्याप्त क्षमता का सोलर सिस्टम (2–3 kW) लगवाया हो
  2. नेट मीटरिंग सही से हो
  3. आपकी खपत और उत्पादन का तालमेल हो

रामकुमार जैसे आम उपभोक्ताओं के अनुभव ये बताते हैं कि योजना व्यावहारिक है, लेकिन इसके लिए थोड़ी समझदारी और भागदौड़ की जरूरत है।

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